गाँधी जी ने अपना अपराध स्वीकार किया और उन्होंने सारी बात एक कागज में लिखकर पिताजी को बता दी.
“सर, वो…..” छात्र कुछ हिचकिचाते हुए बोला, “….मेरे अतीत में कुछ ऐसा हुआ है, जिसकी वजह से मैं परेशान रहता हूँ. समझ नहीं आता क्या करूं?”
चूड़ियों की गिनती
अगर कभी ऐसी गलती हो भी जाए तो विनम्रता से उस व्यक्ति से माफ़ी मांग ले.
जब गाँधी को इस बात का पता चला तो उन्हें आनंद जी की यह बात बहुत बुरी लगी.
निरीक्षक की बात सुनकर सारे बच्चे वर्तनी लिखने में लग गये.
वे मुस्कुराते हुए व्यक्ति से पूछे तुम वही व्यक्ति हो जिसने कल के सत्संग में बड़ा काम करने और बड़ा बनने के आह्वान पर अपनी स्वीकृति जताई थी।
तेनालीराम की चतुराई और काशी का विद्वान् – तेनालीराम की कहानी
“हाँ, यह टूटी हुई छड़ियों से बना है, जर्जर दिखता है और प्रकृति के तत्वों के लिए खुला है। यह कच्चा है, click here लेकिन मैंने इसे बनाया है, और मुझे यह पसंद है।
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पंचतंत्र की कहानी: एक और एक ग्यारह – ek aur ek gyarah
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